Saturday 16 April 2011

तेजू की अकलमंदी

यह कहानी हैं रबड़ीपुर  के राजा मोटू सिंह की. मोटू सिंह एक बहुत शक्तिशाली राजा था ,आस पास के सभी छोटे प्रदेशो के  राजा उससे डरते थे.वो अपनी प्रजा को बहुत खुश रखता था ,








पर एक बात थी जिसके लिए वह अपनी माँ राजमाता सन्मति देवी देवी से खूब डांट खाता था ,वह बात थी की राजा को दाल ,चावल ,सब्जी ,रोटी खाना बिलकुल पसंद नहीं था .उसे तो बस मिठाइयाँ खाना पसंद था ,रसगुल्ला ,गुलाबजामुन ,लड्डू  उसकी पसंदीदा मिठाइयाँ थी.





उसकी माँ सन्मति, भगवान से रोज प्रार्थना  करती की उसकी बेटे को सदबुद्धि दे की वह दाल चावल ,सब्जी सब खाए .लेकिन राजा मोटू सिंह को यह बात नहीं समझती .धीरे धीरे रोज रोज सिर्फ मिठाइयाँ खा खाकर  राजा मोटू सिंह बहुत मोटा हो गया ,इतना मोटा की वह हिल ढुल भी नहीं पाता था .उसके लिए चलना भी मुश्किल हो गया .एक दिन उसे पेट में बहुत जोरो से दर्द हुआ ,उसकी माँ ने झट से राज वैद्य (राजा का डॉक्टर ) को बुलवाया .राज वैद्य ने कहा ,मैं आपको दवाई देकर ठीक कर दूंगा पर आपको मिठाई खाना भी छोड़ना पड़ेगा !! 


यह सुनकर मोटू सिंह को बड़ा गुस्सा आया ,उसने सिपाहियों से कहा: इस राज वैद्य को जेल में डालो ,मैं दवाई नहीं खाऊंगा ,मिठाई खाना भी नहीं छोडूंगा .अगर यह मुझे बिना दवाई खाए और मिठाई खाना छोड़े बिना ठीक कर दे .तो तो यह राज वैद्य कहलाने के काबिल हैं .
राज वैद्य ने कहा :यह कैसे संभव हैं महाराज ???

राजा ने उसे जेल में डलवा दिया और पुरे देश ने समाचार  फैलवा दिया की जो भी महराज मोटू सिंह को बिना दवाई खिलाये और बिना मिठाई खाना छोड़े ठीक कर देगा वही नया राज वैद्य बनेगा .बहुत सारे वैद्य आये और उन्होंने राजा को ठीक करने की कोशिश की ,पर दवाई खाना तो बहुत जरुरी होता हैं  और मिठाई भी ज्यादा खाना बहुत गलत होता हैं .इसलिए बिना दवाई खिलाये कोई भी डॉक्टर और वैद्य राजा को ठीक नहीं कर पाया .राजा ने गुस्से में सबको जेल में डलवा दिया . 

 रबड़ीपुर  में रहने वाला एक छोटा सा बच्चा जिसका नाम था तेजू ,तेजू और राजू दोनों दोस्त थे राजू ने जब तेजू को यह बात बताई तो तेजू  जो दिमाग से बहुत तेज था वह राजा के पास गया .


राजा उसे देखकर जोर जोर से हँसने लगा ...हा हा हा हा हा ..तुम इतने से छोटे बालक हो ,तुम क्या मुझे ठीक करोगे .
तेजू ने कहा :महाराज मुझे एक मौका दीजिये अगर में आपको ठीक नहीं कर सका तो आप जो भी सजा देंगे मुझे मंजूर होगी .राजा बोला ठीक हैं तेजू .
तेजू बोला :महाराज पर मेरी एक शर्त हैं ,की आज से आपके लिए सारी मिठाइयाँ मैं ही बनाया करूँगा .राजा ने तेजू की यह शर्त मन ली 

समय बीतता गया और तेजू की बने मिठाइयाँ खा खा कर राजा ठीक होने लगा 
एक दिन जब राजा पूरी तरह से स्वस्थ  हो गया तो उसने तेजू को अपने पास बुलाया और कहा :की तेजू तुम महान हो ,जो बड़े बड़े वैद्य भी नहीं कर पायें वो तुमने कर दिखाया तो आजसे तुम ही मेरे राज वैद्य हुए और मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी .पर एक बात तुम्हे मुझे बताना  ही पड़ेगी तुमने मुझे मिठाइयाँ  खिला कर ठीक कैसे किया ?
इस पर तेजू बोला :ठीक हैं महाराज मैं आपको बता दूंगा की मैंने आपको मिठाइयाँ खिला खिला कर कैसे ही किया ?लेकिन आपको मेरी दो शर्ते माननी पड़ेंगी .

राजा बोला : ठीक हैं तेजू जैसा तुम कहो 

तेजू बोला :महाराज मेरी पहली शर्त यह हैं की आप अबसे रोज दाल चावल सब्जी रोटी सब खाओगे,और मिठाइयाँ खाना कम कर दोगो 
राजा बोला :मंजूर 
और तुम्हारी दूसरी शर्त ??
तेजू बोला :मैं अभी बहुत छोटा सा बच्चा हूँ आप अपने राज वैद्य को और सभी वैद्यो को जेल से निकाल दे और उनमे से ही किसीको राज वैद्य बना दे 
राजा बोला :यह भी मंजूर 
फिर राजा बोला अब तो तुम्हे बताना ही होगा की तुमने मिठाइयाँ  खिला- खिला कर मुझे कैसे ठीक किया ?




तेजू बोला :बड़ा आसान था महाराज ,मैंने जो मिठाइयाँ बनाता था उनमे शक्कर की जगह शुगर फ्री इस्तेमाल करता था और मैं मिठाई के अन्दर ही रखकर सारी कडवी दवाइयां आपको खिला देता था .
तेजू की इस बुद्धिमत्ता से राजा बहुत खुश हो गया .
उस दिन से राजा रोज माँ के कहे अनुसार दाल  रोटी सब्जी खाने लगा और मिठाइयाँ कम खाने लगा और समय पर दवाई भी लेने लगा .उसकी माँ बहुत खुश हो गयी .

2 comments:

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  2. क्या बात है, तेजू तो बड़ा ही अक्लमंद निकला!
    पहली ही कहानी बहुत अच्छी लगी। बचपन की नंदन, चंपक और पराग की कहानियां याद आ गई।
    धन्यवाद।

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