Tuesday 14 June 2011

आइसक्रीम और रसगुल्लों की मिठास


एक छोटी सी,प्यारी  लड़की थी जिसका नाम था स्वरा .स्वरा अपने माँ पापा की बहुत लाडली थी ,सब बच्चो के माँ पापा की तरह उसके माँ पापा भी उसे बहुत बहुत बहुत प्यार करते थे .वह राजकुमारी सी रहती थी ,उसके पास बहुत सारे अच्छे अच्छे खिलौने ,अच्छी अच्छी किताबे थी.स्वरा जो कहती वह पल में पूरा हो जाता ,अपने माँ पापा से जो मांगती चट से माँ पापा उसे लाकर देते,उसकी हर इच्छा पूरी करते ,उसके बहुत लाड करते और क्यों न करे ? स्वरा थी भी इतनी अच्छी और इतनी प्यारी .बस उसकी एक बात  बहुत गलत थी ,वह खाना खाने में बहुत नखरे करती थी  .उसकी माँ उसके लिए तरह तरह की अच्छी अच्छी चीज़े बनाती,कभी गोल गोल पुरियां ,कभी मीठी मीठी जलेबियाँ ,कभी चटपटी चटनियाँ ,कभी घी मक्खन से सजी सब्जियां ,कभी मावे से भरे रस भरे रसगुल्ले,कभी  
ताज़े मीठे फलो की चाट ...

सुनकर बड़ा मन हो रहा हैं न बच्चो ,की कब ये आपके सामने आये और कब आप इसे खाए?
पर स्वरा तो स्वरा ही थी ,माँ चाहे कितना भी स्वादिष्ट खाना बनाये पर स्वरा उसे छूती भी नहीं थी उसे  तो बस चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स ही  पसंद थे ,कभ बहुत भूख  लगी तो थोडा बहुत घी चावल खा लिया ..
स्वरा की माँ तरह तरह से खाने को सजाती ,स्वरा की मिन्नते करती ,उसे खाना खाने के लिए समझाती,उसे बहला बहला कर खाना खिलने की लाख - लाख कोशिशे करती. पर स्वरा !!वह कुछ किये यह सब नहीं खाती .एक दिन स्वरा की माँ को बहुत गुस्सा आया उन्होंने लगा दिए स्वरा को दो चार थप्पड़ की वह खाना क्यों नहीं खाती ??
उस दिन स्वरा बहुत रोई और उसने माँ से वादा किया की अब जो कुछ भी माँ उसे खाने में देगी वह वो सब जरुर खाएगी ..
लेकिन दुसरे दिन सुबह होते ही स्वरा अपना वादा भूल गयी ! फिर से वही नखरे !



 स्वरा की माँ बहुत दुखी  हो गयी और भगवान के पास जाकर रोने लगी  ,हैं भगवान! मेरे यहाँ खाने को इतना कुछ हैं पर मेरी बच्ची कुछ नहीं खाती ....ब हु हु हु हु ...बहुत बहुत रोई ...
भगवान को आई दया ,प्रकट होकर बोले तुम चिंता मत करो मैं स्वरा को समझाऊंगा ..
भगवान आये स्वरा के पास ,बोले " चलो स्वरा बेटा कहीं घुमने चलते हैं ." घूमना फिरना तो स्वरा को बहुत पसंद था ,वह एकदम खुश हो गयी कौनसे मॉल जायेंगे बप्पा ?
बप्पा बोले" मॉल नहीं जायेंगे .
स्वरा :तो कहा जायेंगे ???
बप्पा :तुम चलो तो सही !

थोड़ी दूर जाने के बाद भगवान और स्वरा पहुंचे एक छोटे से गॉव में जहाँ बहुत गरीब लोग रहते थे .
एक बगीचे में कुछ बच्चे खेल रहे थे ,बप्पा स्वरा को लेकर उन बच्चो के पास पहुंचे और उनमे से एक से पूछा 
"बेटा यह बताओ क्या तुमने आज दूध पिया "
बच्चा बोला : " नहीं बप्पा दूध तो बहुत महंगा आता हैं न! मेरे माँ पापा के पास इतने पैसे नहीं हैं की वो मेरे लिए दूध खरीद सके !
स्वरा बोली :अरे तुम्हारे माँ पापा के पास दूध खरीदने के भी पैसे नहीं हैं ?
बच्चा :नहीं

यह सुनकर स्वरा को थोडा सा आश्चर्य हुआ !
फिर बप्पा स्वरा के साथ गए दुसरे बच्चे के पास

उस बच्चे से स्वरा ने पूछा "तुम्हारा नाम क्या हैं ?"
बच्चा बोला : "टिकू " 
बप्पा बोले :"टिकू यह बताओ तुमने आज कौनसी सब्जी खायी "
टिकू  बोला :मैंने सब्जी नहीं खायी .
सुनकर स्वरा तो खुश हो गयी बप्पा से बोली "देखा इसने भी सब्जी नहीं खायी "
बप्पा ने पूछा "क्यों बेटा सब्जी क्यों नहीं खायी ?"
टिकू बोला "मेरे पापा खेतो में गाज़र उगते हैं तो वह कभी कभी थोड़ी खाने को मिल जाती हैं बाकि ,सब्जियां तो पकी हुई दुसरो के थाली में ही देखी  हैं .मेरे घर सब्जी नहीं बनती क्योकि बहुत थोड़े पैसो में हम लोग नमक रोटी ही खा पाते हैं ."
स्वरा को यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ .

फिर बप्पा और स्वरा गए भीकू,नानू,चम्पू ,मितली ,बडकी ,रिनी ,मनी और बडबड़ी  के पास 
स्वरा ने सबको हाय -हेलो किया और शुरू हुई बातें ...

स्वरा ने जब उन्हें बताया की उसके पास चलने वाला बन्दर ,बोलने वाला गुड्डा और उड़ने वाला प्लेन हैं तो सब बच्चो को इतना अचरज हुआ क्योकि ऐसे खिलौने भी हो सकते हैं यह उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था ...
बातों ही बातों में स्वरा ने कहा तुम्हे पता हैं मेरे घर में रोज़ मैगी बनती हैं ,मुझे चोकलेट्स पसंद हैं आइसक्रीम बहुत ज्यादा पसंद हैं ..माँ मुझे रसगुल्ले ,गुलाब जामुन ,मिल्क केक ,कभी पूरी,कभी गोभी की सब्जी ,कभी पालक का सूप ,कभी बिस्किट्स ,कभी दही चावल ,कभी घी रोटी साथ में खीर पता नहीं क्या क्या देती रहती हैं .पर मैं तो बस चिप्स खाना पसंद करती हूँ ...
स्वरा के ऐसा कहने पर मितली ने कहा:" स्वरा पूरी ,रोटी तो समझ आया पर ये आ आ क्या कहा आस करीम यह क्या होता हैं ?मिलक केक ,गुलाब जामुन , सूप और हाँ क्या कहा तुमने ??वो कुछ मागी ??यह सब क्या  होता हैं ?"






स्वरा यह सुनकर जोर जोर से हँसाने लगी : हा हा हा हा हा हा हा हा कैसी बातें करते हो तुम्हे यह सब नहीं पता ??












बच्चे बोले :सच हमे नहीं पता ,भगवान जी आप स्वरा को यह सब खाने को रोज़ रोज़ देते हो ,हमें क्यों नहीं देते ?हमें भी यह सब खाना हैं .
बच्चो की बात सुनकर बप्पा को दया आई उन्होंने सब बच्चो को बहुत सारी मिठाई ,अच्छे अच्छे पकवान,आइसक्रीम खाने को दी.सरे बच्चो ने बप्पा को बहुत बहुत धन्यवाद दिया ...

रस्ते में लौटते समय स्वरा बहुत उदास थी ,भगवान ने उसे पूछा क्या हुआ स्वरा ?
स्वरा बोली:बप्पा मुझे माफ़ कर दो. इन सब बच्चो ने जो अच्छी अच्छी खाने की चीज़े कभी देखी भी नहीं वो तुमने  मुझे रोज़ रोज़ दी हैं ,इन बच्चो को सुखी रोटी नमक खाना पड़ता हैं ,दाल,सब्जी कुछ नहीं मिलता ..और मेरी माँ मेरे पीछे घर भर मुझे मनाती  फिरती हैं की मैं थोड़ी दाल सब्जी खा लू ..पर मैं नहीं खाती ..
मुझे माफ  कर दो बप्पा अब मैं रोज़ सब सब्जियां ,डाले,मिठाई सब खाऊँगी.

स्वरा की बात सुनकर बप्पा बहुत खुश हो गए और उसके गालो पर मीठी सी पप्पी दी और बोले प्यारी बेटी सदा खुश रहो !
उस दिन से स्वरा सब दाले ,सब्जियां,मिठाइयाँ और सारे  पकवान जो माँ बना कर देती ख़ुशी ख़ुशी खाने लगी .उसे इस खाने का असली  स्वाद और मिठास तो अब ही पता चली थी न !जल्दी ही स्वरा एक बहुत तंदुरुस्त बच्चा बन गयी ,वह कभी भी बीमार नहीं पडती ..उसकी माँ भी अब बहुत खुश रहने लगी !










Saturday 16 April 2011

तेजू की अकलमंदी

यह कहानी हैं रबड़ीपुर  के राजा मोटू सिंह की. मोटू सिंह एक बहुत शक्तिशाली राजा था ,आस पास के सभी छोटे प्रदेशो के  राजा उससे डरते थे.वो अपनी प्रजा को बहुत खुश रखता था ,








पर एक बात थी जिसके लिए वह अपनी माँ राजमाता सन्मति देवी देवी से खूब डांट खाता था ,वह बात थी की राजा को दाल ,चावल ,सब्जी ,रोटी खाना बिलकुल पसंद नहीं था .उसे तो बस मिठाइयाँ खाना पसंद था ,रसगुल्ला ,गुलाबजामुन ,लड्डू  उसकी पसंदीदा मिठाइयाँ थी.





उसकी माँ सन्मति, भगवान से रोज प्रार्थना  करती की उसकी बेटे को सदबुद्धि दे की वह दाल चावल ,सब्जी सब खाए .लेकिन राजा मोटू सिंह को यह बात नहीं समझती .धीरे धीरे रोज रोज सिर्फ मिठाइयाँ खा खाकर  राजा मोटू सिंह बहुत मोटा हो गया ,इतना मोटा की वह हिल ढुल भी नहीं पाता था .उसके लिए चलना भी मुश्किल हो गया .एक दिन उसे पेट में बहुत जोरो से दर्द हुआ ,उसकी माँ ने झट से राज वैद्य (राजा का डॉक्टर ) को बुलवाया .राज वैद्य ने कहा ,मैं आपको दवाई देकर ठीक कर दूंगा पर आपको मिठाई खाना भी छोड़ना पड़ेगा !! 


यह सुनकर मोटू सिंह को बड़ा गुस्सा आया ,उसने सिपाहियों से कहा: इस राज वैद्य को जेल में डालो ,मैं दवाई नहीं खाऊंगा ,मिठाई खाना भी नहीं छोडूंगा .अगर यह मुझे बिना दवाई खाए और मिठाई खाना छोड़े बिना ठीक कर दे .तो तो यह राज वैद्य कहलाने के काबिल हैं .
राज वैद्य ने कहा :यह कैसे संभव हैं महाराज ???

राजा ने उसे जेल में डलवा दिया और पुरे देश ने समाचार  फैलवा दिया की जो भी महराज मोटू सिंह को बिना दवाई खिलाये और बिना मिठाई खाना छोड़े ठीक कर देगा वही नया राज वैद्य बनेगा .बहुत सारे वैद्य आये और उन्होंने राजा को ठीक करने की कोशिश की ,पर दवाई खाना तो बहुत जरुरी होता हैं  और मिठाई भी ज्यादा खाना बहुत गलत होता हैं .इसलिए बिना दवाई खिलाये कोई भी डॉक्टर और वैद्य राजा को ठीक नहीं कर पाया .राजा ने गुस्से में सबको जेल में डलवा दिया . 

 रबड़ीपुर  में रहने वाला एक छोटा सा बच्चा जिसका नाम था तेजू ,तेजू और राजू दोनों दोस्त थे राजू ने जब तेजू को यह बात बताई तो तेजू  जो दिमाग से बहुत तेज था वह राजा के पास गया .


राजा उसे देखकर जोर जोर से हँसने लगा ...हा हा हा हा हा ..तुम इतने से छोटे बालक हो ,तुम क्या मुझे ठीक करोगे .
तेजू ने कहा :महाराज मुझे एक मौका दीजिये अगर में आपको ठीक नहीं कर सका तो आप जो भी सजा देंगे मुझे मंजूर होगी .राजा बोला ठीक हैं तेजू .
तेजू बोला :महाराज पर मेरी एक शर्त हैं ,की आज से आपके लिए सारी मिठाइयाँ मैं ही बनाया करूँगा .राजा ने तेजू की यह शर्त मन ली 

समय बीतता गया और तेजू की बने मिठाइयाँ खा खा कर राजा ठीक होने लगा 
एक दिन जब राजा पूरी तरह से स्वस्थ  हो गया तो उसने तेजू को अपने पास बुलाया और कहा :की तेजू तुम महान हो ,जो बड़े बड़े वैद्य भी नहीं कर पायें वो तुमने कर दिखाया तो आजसे तुम ही मेरे राज वैद्य हुए और मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी .पर एक बात तुम्हे मुझे बताना  ही पड़ेगी तुमने मुझे मिठाइयाँ  खिला कर ठीक कैसे किया ?
इस पर तेजू बोला :ठीक हैं महाराज मैं आपको बता दूंगा की मैंने आपको मिठाइयाँ खिला खिला कर कैसे ही किया ?लेकिन आपको मेरी दो शर्ते माननी पड़ेंगी .

राजा बोला : ठीक हैं तेजू जैसा तुम कहो 

तेजू बोला :महाराज मेरी पहली शर्त यह हैं की आप अबसे रोज दाल चावल सब्जी रोटी सब खाओगे,और मिठाइयाँ खाना कम कर दोगो 
राजा बोला :मंजूर 
और तुम्हारी दूसरी शर्त ??
तेजू बोला :मैं अभी बहुत छोटा सा बच्चा हूँ आप अपने राज वैद्य को और सभी वैद्यो को जेल से निकाल दे और उनमे से ही किसीको राज वैद्य बना दे 
राजा बोला :यह भी मंजूर 
फिर राजा बोला अब तो तुम्हे बताना ही होगा की तुमने मिठाइयाँ  खिला- खिला कर मुझे कैसे ठीक किया ?




तेजू बोला :बड़ा आसान था महाराज ,मैंने जो मिठाइयाँ बनाता था उनमे शक्कर की जगह शुगर फ्री इस्तेमाल करता था और मैं मिठाई के अन्दर ही रखकर सारी कडवी दवाइयां आपको खिला देता था .
तेजू की इस बुद्धिमत्ता से राजा बहुत खुश हो गया .
उस दिन से राजा रोज माँ के कहे अनुसार दाल  रोटी सब्जी खाने लगा और मिठाइयाँ कम खाने लगा और समय पर दवाई भी लेने लगा .उसकी माँ बहुत खुश हो गयी .

Friday 15 April 2011

शाम ढलते ढलते लौटने लगते हैं पंछी अपने घोसलों की ओर ...धीरे धीरे उनकी चहचहाट बंद हो जाती हैं ,नींद उनके पंखो को विराम देती हैं पर तारों की झिलमिल के साथ ही बढ़ने लगती हैं हमारे घर आँगन में रहते नन्हे नन्हे पंछियों की चहचहाट,टिम टिम  करते झिलमिलाते तारे उनके पंखो को एक नयी उर्जा एक नयी स्फूर्ति देते हैं ,कभी लोरी, कभी माँ का लाड़,पर निंदियाँ रानी उनकी आज्ञा की दासी ! भला उनकी मर्जी की बिना वह कैसे इन नन्हे मुन्नों  की पलको को अपना आसरा बनाये???
कुछ शर्माती ,कुछ हिचकिचाती वही तो माँ के कानो  में कह जाती हैं "कहानी ".और यही से शुरू होती हैं कहानियों  की प्यारी ,अनोखी ,सुंदर दुनियाँ ..जहाँ  घूमते छोटे छोटे बच्चे कभी माँ से कई सारे सवाल कर बैठते हैं ,फिर अचानक ही निंदियाँ रानी की गोद में सर रख इसी दुनियाँ में रात भर के लिए खो जाते हैं ...माँ लेती हैं एक आनंद ,सुख और ममता से भरा निश्वास ..

जब आरोही इस दुनियाँ में आई तो मैंने कई सारी कहानियों की किताबें  लायी ,पर तब उसे लोरियां सुनना भाता था ,और अब जब वह कहानी सुनने की जिद करती हैं तो मेरे पास कोई कहानी नही होती ,कहीं से अचानक कोई तारा ,कोई पंछी ,कभी शेर ,कभी बिल्ली ,कभी छोटा भीम के लड्डू ,तो कभी कोई गीत नजरो के निचे से गुजर जाते हैं और ले लेते हैं कहानी का रूप ..अरु के साथ मैं भी उन्ही कहानियों के नगर में घुमती हूँ वहाँ रह रहे बन्दर ,भालू ,चिड़ियाँ ,चुन्नी गुड़ियाँ ,मन्नी मैना ,रोज़ी फूलो की रानी ,सा रे ग  म गाती सारा .सबके  सब अचानक ही मेरे दोस्त बन जाते हैं ,मैं अरु और हमारे सभी दोस्त साथ साथ खाना खाते हैं ,इनाम पाते हैं ,गलत लोगो को सबक सिखाते हैं ,माँ से अच्छी बातें सीखते हैं ,टीचर की डांट सुन थोडा घबरा जाते हैं और प्यार से कहते हैं सॉरी टीचर ...

सच मुझे ही नही पता कहानियाँ कब बन जाती हैं ???पर मेरी अरु बहुत हसंती हैं ..बहुत खुश होती हैं फिर चुपके से सो जाती हैं. ...

सोचा यही कहानियाँ सबके साथ बांटू ताकि आप सबकी आरोही भी  यूँही हँसें ,मुस्कुराये,और चुपके से सो जाये ,तो मेरी ख़ुशी दुगुनी हो जाएगी ,इसलिए यह ब्लॉग "झिलमिल (अरु की कहानियाँ )"


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